-ताण्डव छंद-


-ताण्डव छंद-
धरय भार बारा जब । छंद बने तांडव तब
शुरू आखिर मा लघु धर । ताण्डव ला सुग्घर कर

जइसे-
कहय सूत शौनक सुन । भगवत पुराण के गुण
सुने भर मा मिल जात । प्रभु के सब भक्ति पात
सुनत भागवत पुराण । मन होय गंग समान
डर-भय कुछ ना बाचय । जग मा कोनो जांचय
कटय सब माया फाँस । मिलय प्रभु भक्ति उजास
ऋषि शौनकमन पूछँय । मन प्रभु मूरत गूथँय
प्रथम बार ये पुराण । पढ़े हे कोन सुजान
अउ आघू कोन धरिस । जग येला कोन भरिस

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

-अहीर छंद-

-नित छंद-

-निधि छंद-