-निधि छंद- नौ मात्रा कंत । गुरू लघु ले अंत गढ़ अइसे बंद । बनही निधि छंद जइसे- सुन ऊंखर बात । सूतजी अघात सुन लौं मन लाय । गुरू जेन बताय लइकापन आय । शुक जंगल जाय ले बर सन्यास । मन भरे उजास देखय जब बाप । सह सकय न ताप शुक-शुक चिल्लाय । बेटा ल बलाय शुक सुनय न बात । अपन धुन म जात शुक ल रमे जान । पेड़ मन तमाम बोलय सुन व्यास । छोड़व अब आस बोलत हे सूत । शुकजी अद्भूत ओ शुक के पाँव । मैं माथ नवाँव हे नेक सवाल । प्रभु कथा कमाल
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