-नित छंद-


-नित छंद-
बारह के भार धरत । सुग्घर नित छंद बनत
लघु गुरू या नगण धरे । चरणन के अंत करे

जइसे-
पइसा जग मा बड़का । पइसा जीवन तड़का
रिश्ता नाता पइसा । करव बुता जस भइसा
नीत-रीत संग घरव । काम-बुता अपन करव
बिना काम कहां जगत । दुख पीरा रहय फकत

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

-अहीर छंद-

-निधि छंद-