-अहीर छंद-


-अहीर छंद-
धरे एकादश भार । अंत जगण भर डार
बनही छंद अहीर । मन मा धारव धीर

जइसे-
खोलव ज्ञान कपाट । देखव रूप विराट
जेखर ओर न छोर । एको मिलय न कोर
जेखर आघु पहाड़ । लागत रहय कबाड़
धुर्रा-कण कस जान । जतका दिखय समान
जेखर हाथ हजार । लागय नार-बियार
कतका पाँव गिनाँव । कतका बुद्धि लमाँव
आँखी मुँह अउ कान । गिनय कोन गुणवान
कतका हवय नाक । देखत रहय ताक
मुड़ हजारो हजार । कोने पावय पार
अतका भरे उजास । मरय सुरूज हर प्यास
कुण्डल चमकत कान । लाखों सुरूज समान
येही दिव्य सरूप । हे नारायण रूप

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

-नित छंद-

-निधि छंद-