-शिव छंद-


-शिव छंद-
भार एक दश धरे । आय छंद शिव हरे
तीसर छठ अउर नौ । भार लघु शिव भर दौ

चरण अंत मा सगण । या नहिं त रहय रगण
या नहिं त रहय नगण । तब शिव रहय मगन


जइसे-
जेन कुछु सरूप हे । श्रीहरिमय रूप हे
रूप घात प्रभु धरे । धर्म सृष्टि मा भरे
धर्म घटय जग  जभे । होय प्रकट प्रभु तभे
 धर्म एक सार हे । प्रभु के उपकार हे

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

-अहीर छंद-

-नित छंद-

-निधि छंद-