-तोमर छंद-


-तोमर छंद-
बारह म तोमर छंद । होथे सुजानुक चंद
रखले पताका अंत । जस रखे तुलसी संत

जइसे-
हृदय मा ईश्वर वास । देखेंव आत्म प्रकाश
ईश्वर के दिव्य रूप । सकल सृष्टि के सरूप
जेखर रंग ना रूप । चराचर के जे भूप
बिना आँखी के देख । बिना कान के सरेख
अब्बड़ मजा मैं पाँव । मन मा मूरत बसाँव
जेने खाय पतिआय । बाकी मनन बतिआय
मोर मन गोतो खाय । ईश्वर सरूप बसाय

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